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अनुभूति में गणेश गंभीर की रचनाएँ

नयी रचनाओं में-
अजब आदमी
धर्म पुराना
पेड़ पीपल का
समय इन दिनों

अंजुमन में-
चाँदनी में लेटना
ठंडी ठंडी फुहार
जीवन एक अँधेरा कमरा
ये पौधे पेड़ बनेंगे
लगाकर आग जंगल में

गीतों में-
इच्छा
नदी

 

पेड़ पीपल का

पेड़ पीपल का पुराना
अब गिरा कि तब गिरा।

बहुत कम तो भी नये
पत्ते निकलते हैं
मौसमों के साथ जिनके
रंग बदलते हैं
डालियाँ हैं शुष्क धमनी
टहनियाँ जैसे शिरा।

देवता बीते दिनों के
इसमे रहते हैं
ढीठ कौओं की अवज्ञा
रोज सहते हैं
क्या करें कितना कठिन है
घर बनाना दूसरा?

पुत्र की पति की कुशलता
चाहने वाली
खो गयी जाने कहाँ
पूजा की वह थाली
राम-सीता और लवकुश
याद आये मन्थरा।

इसके नीचे बैठकर
संबुद्ध हो पाना
अब नहीं सम्भव
किसी सिद्धार्थ का आना
दु:ख विजय के लिए छोड़े
कौन जीवन-सुखभरा?

३ अगस्त २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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