अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में गणेश गंभीर की रचनाएँ

नयी रचनाओं में-
अजब आदमी
धर्म पुराना
पेड़ पीपल का
समय इन दिनों

अंजुमन में-
चाँदनी में लेटना
ठंडी ठंडी फुहार
जीवन एक अँधेरा कमरा
ये पौधे पेड़ बनेंगे
लगाकर आग जंगल में

गीतों में-
इच्छा
नदी

  चाँदनी में लेटना

चाँदनी में लेटना अक्सर बहुत अच्छा लगे,
ओस भीगी घास का बिस्तर बहुत अच्छा लगे।

शंख की ध्वनि, घंटियों का स्वर, बहुत अच्छा लगे,
देवता के रूप में पत्थर बहुत अच्छा लगे।

कोहरे का तोड़ दरवाजा सड़क पर आ गई,
धूप का बदला हुआ तेवर- बहुत अच्छा लगे।

आपकी ऊँची हवेली से मेरा क्या वास्ता,
मुझको अपना टूटा-फूटा घर बहुत अच्छा लगे।

खून गंदा बह गया तो दर्द कुछ कम हो गया,
औंधे फोड़े में लगा नश्तर- बहुत अच्छा लगे।

यक्ष है युग की चुनौती पर युद्धिष्ठिर कौन है,
ढूँढना इस प्रश्न का उत्तर बहुत अच्छा लगे।

२३ जुलाई २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter