अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में दिवाकर वर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
कलफ लगे खादी के कुरते
कहाँ गए दिन
गंगाराम
दिन
सूप खटकाती रही
 

गीतों में-
आदमी बौना हुआ है
चिठिया बाँच रहा चंदरमा
चेहरे से सिद्धार्थ
नदी नाव संजोग
नागफनियाँ मुस्कान में
पटरी से गाड़ी उतरी
फुनगी पर बैठा हीरामन
मैं वही साखी

राम जी मालिक
हुमकती पवन

 

गंगाराम

चित्रकूटि
न दूध रोटी
न भजता सीताराम!
भिनसारे में
राम नहीं
अब रटता गंगाराम!

राम न रटता
गाली बकता
गढ़ी नयी भाषा,
बोली-बानी बदली
रच ली नूतन परिभाषा,
संबोधन में
‘हाय-हलो’
ही कहता सुबहो-शाम!
भूला तोता भजन
और
मैना भूली गाना,
भरी दुपहरी निंदा-
स्तुति, चलता बतियाना,
काम-धाम के
नाम कहे
बस बोलो ‘राधे-श्याम’!

हरी मिर्च का
स्वाद निराला
याद नहीं आये,
पाँच सितारा चुग्गा-दाना
सुग्गे को भाये,
सुआपटे अब
निषि-दिन जपता
बस पिज्जे का नाम!

२२ अगस्त २०११

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter