अनुभूति में
ज़्देन्येक वाग्नेर
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यात्री
अंधेरे में गली
अचानक खो गयी।
जो यात्री इस गली में
भटक रहा था
वही वहाँ सूर्यदय तक
ठहर रहा था।
सुबह को वह आगे चला।
चन्द्र उसका लक्ष्य है।
वह जानता है कि हर जगह
चाहे भी वह सुंदर हो
यात्री को फिर छोड़ना है।
२७ दिसंबर २०१० |