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ज़्देन्येक वाग्नेर
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सूरज और चंद्र
अब तक हमारा प्यार
सूरज और चंद्र की तरह है
पृथ्वी के परिक्रमापथ पर
दोनों चल रहे हैं
दिन में ही सूरज
रात में ही चंद्र
सूरज के प्रकाश की सुनहरी रश्मियाँ
चाँदी के चेहरे पर गिरती जाती हैं
चमकीला चंद्र तब
मुस्कुराएगा
जितना दोनों नज़दीक हैं
इतना भी दूर रहते हैं
और उनके मिलन से
एक दिन तो
ग्रहण बनेगा
२७ दिसंबर २०१० |