अनुभूति में
ज़्देन्येक वाग्नेर
की रचनाएँ-
नई रचनाओं
में-
अकेला दिल
आवाज़
घायल हुस्न की परझाईं
नज़दीक या दूरी में
यात्री
सूरज और चंद्र
छंदमुक्त
में-
ग्रहण
दो
छोटी कविताएँ
मुरझाए
हुए फूल
|
|
अकेला दिल
उच्चारित करती है
तुम्हारी आवाज़
कि मेरा सपना है
तुम्हारा आवास
दिखाई देती हैं
तुम्हारी आँखें
सितारों के बीच में
मेरे स्वप्नों में
सवेरे सुबह को
जागता है दिन
अकेला रहेगा
तब मेरा दिल
२७ दिसंबर २०१० |