अनुभूति में
ज़्देन्येक वाग्नेर
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दो
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ग्रहण
लाखों तारिकाएँ
विस्मय से देखती हैं
कि सूर्य चाहता है
कि चाँद का ग्रहण हो।
चंद्र एक घंटे में
छाया में सोता है।
अंधेरे से डर बाद
हर जीव को लगता है।
तुमहारे बालों में
समीर नाच रहा है
और प्यार के ग्रहण से
डर मुझे लगता है।
२३ नवंबर २००९ |