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एक अदद इंतज़ार
एक था चंचल
एक ख्वाब की कब्रगाह
कौन हूँ मैं
झोंका जो आया अतीत की खिड़की से
नव वर्ष में
भूलना
मंगलसूत्र
वर्ष दो हजार दस
वो बत्ती वो रातें
संवाद
सच
हादसे– (मुंबई और मंगलौर के बीच मन) |
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मंगलसूत्र
पति को याद नहीं होता
पत्नी का जन्मदिन
उसकी पसंद
कोई नापसंद
उसके खाने का समय
उसकी खुशियाँ
उसके मायके का रास्ता
या यह भी कि शायद कोई रहता भी है
उस घर में
पति को नहीं रहता अहसास यह भी
कि पत्नी को क्यों याद रहता है
उसकी बनियान सूखी या नहीं
सब्जी उसके स्वाद की बनी या नहीं
जरूरत तो नहीं कहीं
उसके सर को मालिश की
कहीं थक तो नहीं गया वो बेचारा बहुत ज्यादा
पत्नी को सब याद रहता है
पति के बॉस का बर्थडे और
उनके कुत्तों के नाम
उसकी बहनों के पते और
उन्हें पड़ने वाले काम
पर पति की याद्दाश्त होती है
कमजोर ही
आखिर वो पति जो है
७ जून २०१० |