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अनुभूति में संध्या सिंह की रचनाएँ -

नये गीतों में-
कौन पढ़ेगा
अंतर्द्वंद्व
प्रतिरोध
मौसम के बदलाव
समय- नदी

गीतों में-
अब कैसे कोई गीत बने
कौन पढ़ेगा
परंपरा
मन धरती सा दरक गया
रीते घट सम्बन्ध हुए

दोहों में-
सर्द सुबह

छंदमुक्त में-
अतीत का झरोखा
खोज
बबूल
संभावना

सीलन

  प्रतिरोध

पर्वत देता सदा उलाहने
पत्थर से सब बंद मुहाने
मगर नदी को ज़िद ठहरी है
सागर तक बह जाने की

गिरवी सब कुछ ले कर बैठा
संघर्षों का कड़क महाजन
कर्तव्यों की अलमारी में
बंद खुशी के सब आभूषण

मगर नींद को अब भी आदत
सपना एक दिखाने की

मर्म छुपा है हर झुरमुट में
हर जड़ में इक दर्द गड़ा हैं
लेकिन मौसम की घुड़की पर
जंगल बस चुपचाप खडा है

मगर आज आँधी की मंशा
सब कुछ तुम्हें बताने की

सभी प्रार्थना पत्र पड़े हैं
घिसी रूढ़ियों के बस्ते में
पता नहीं है लक्ष्य दूर तक
जीवन बीत रहा रस्ते में

पर पैरों ने शपथ उठाई
मंज़िल तक पहुँचाने की

९ जून २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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