अनुभूति में
संध्या सिंह की
रचनाएँ -
नये गीतों में-
कौन पढ़ेगा
अंतर्द्वंद्व
प्रतिरोध
मौसम के बदलाव
समय- नदी
गीतों में-
अब कैसे कोई गीत बने
कौन पढ़ेगा
परंपरा
मन धरती सा दरक गया
रीते घट सम्बन्ध हुए
दोहों में-
सर्द सुबह
छंदमुक्त में-
अतीत का झरोखा
खोज
बबूल
संभावना
सीलन
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मौसम के बदलाव
परिवर्तन की रीत पुरानी
सदा हुए बदलाव
बदले मौसम संग बदला है
धरती का बर्ताव
गर्म धधकती धूप तमक कर
पैरों को झुलसाये
गलियों रस्तों चौराहों पर
आग लिए मँडराए
किरणों के चाबुक लहराता
रवि का उग्र स्वभाव
सर्द लहर की तैनाती ने
कैद किया तन मन को
पात पात पर कुहरा बैठा
धमकाए उपवन को
सहन नहीं कर पाए धरती
सूरज से अलगाव
बादल के घट भरती पावस
सागर के पनघट से
मिटें दरारें धरती की फिर
बरखा की आहट से
प्यास बुझे सूखी मिट्टी की
भरें खेत के घाव
वासंती फूलों के किस्से
हवा दूर तक गाये
टहनी टहनी चढी खुमारी
उसकी लचक बताये
कलियों ने स्वीकार किये हैं
भँवरे के प्रस्ताव
९ जून २०१४ |