झुग्गियाँ
बढ़ रही थी
मरनेवालों तादात
जो रहते थे झुग्गियों में
पास में ही इमारत थी, दस मंज़िला
जो ढह गई थी अचानक
भूकंप में बेघर हो गए थे कई
लोग
इमारत का मलबा झुग्गियों पर
और
मलबे से लाशों का कारवाँ...
नेताओं ने तुरंत किया दौरा,
उस घटना स्थल का
कुछ झुग्गीवालों से मिले भी, और
मोहर लगा दी, उस प्रत्येक लाशों पर
पूरे एक लाख रुपए की...
बच गए थे, कुछ लोग जो दस
मंज़िला इमारत में
ही रहते थे
सोचने लगे वह भी-
काश
झुग्गियों में रहते होते हम भी...!!!
१३ अक्तूबर २००८