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बचपन

बचपन
मेरे अंदर
आज भी बचपन पल रहा है
शाम को घर में आकर
स्कूल बैग को
कोने में फैंकती हुई बेटी
अपनी माँ से
लिपटकर कहती हैं
"बड़ी ज़ोरों की भूख लगी हैं…”

बचपन में ही
खोये हुए माँ-बाप की स्मृतियाँ
उनके चहरे में
उभरती है मगर
कोइ नहीं उकेर पाता उसे
मेरे सिवा !

२० फरवरी २०१२

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