अनुभूति में
मनोरंजन तिवारी की
रचनाएँ-
नयी
रचनाओं में-
अनगढ़ कविता
ऐसा क्यों होता है
कविता सी कुछ
खो गई है मेरी कविताएँ कहीं
मेरी कविता
मैं कवि नहीं हूँ
छंदमुक्त में-
अंकुर
दिल पर ले यार
प्रकृति
माँ भी झूठ बोलती है
लड़कियाँ
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दिल पर
ले यार
दिल पर ले यार
क्योंकि जब तक दिल पर न लेगा
जिंदगी घिसटती रहेगी यों ही उम्र भर
काहिलों की तरह
मरते रहेंगे दिल से जुड़े हर एहसास
और फिर बेगैरतों सी गुजरने लगेगी जिंदगी
बह जाने दे आँसुओं के साथ
हर दर्द अपमान और निराशा को
और बाहर आने दे दिल का हर उबाल
छुपा मत इसे
दफन मत होने दे
इसे दिल के अंदर
बड़े संघर्षों से उठता है
दिल में उबाल
दहकने दे इसे दिल के अंदर
मत डाल इस पर पानी
मत रोक इसे, पनपने दे आक्रोश को
बहकने दे अपने जोश को
दमकने दे इसे अपने चेहरे पर
अपने व्यक्तित्व में झलकने दे
दे खुली छूट इस प्रवाह को
तोड़ने दे हर बंधन को
मत घुटने दे इसको
जिंदा रहने दे इसे दिल में
इसे मत मार
दिल पर ले यार।८ दिसंबर २०१४ |