जादूगर बसन्त
बसन्त का आना
पेड़ों का खुशी से झूमना
ठंडी बयार का बहना
बसन्त की दस्तक
मात्र से मौसम में रूनक झुनक आई
तन मन में मीठी पीर समाई
अजब-सी खुमारी आ गई
हवा भी नशीली हो गई
ये कैसा तुम्हारा जादू
बसन्त तन मन दोनों बौराये
पलक झपकती नहीं
इन्तज़ार अपने दीवाने का
ये आँखें करती हैं
सच कहती हूँ बसन्त
तुम्हारा आना मन को
बहुत भाता है
तुम्हारे आने से
आँचल मेरा भर जाता है
अपार खुशियों से
३१
अगस्त २००९ |