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दिये जलाओ- दीपोत्सव
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अच्छा है ये मौन हैं

दस्तावेज़ों की
अजब कहानी
किसी पन्ने पर प्रेमकथा
किसी पर सच के दावे
किसी पर झूठ की दुहाई
और किसी पन्ने पर
लाखों की हुंडी

ये दस्तावेज़
फ़कत नहीं हैं पन्ने-
इन पर निर्भर हैं अनेक जीवन
लटकी हैं अधर में जि़न्दीगियाँ
ये चाहें तो
डुबा सकते हैं सबको
चाहें तो किनारे भी लगा सकते हैं
इनका मौन अपने आप में है सबलता,
सफलता की निशानी
अच्छा है ये मौन हैं

२३ मई २०११

 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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