क्या हुआ
क्या हुआ, हमको चिना जाता है
यदि बुनियाद में
बस यही होगा, समझ पाएगी दुनिया बाद में
हम किसी को एक पल की भी खुशी
देते नहीं
जानते हैं, बेतरह डूबे हैं सब अवसाद में
उस तरफ़ चिंता है, सारे सुख न
छिन जाएँ कहीं
इस तरफ़ भूखे पड़े हैं घर बड़ी तादाद में
खून के प्यासे अचानक कैसे हो
उठते हैं हम
फ़र्क कुछ तो हो भलेमानुस में और जल्लाद में
सिर्फ़ इक आवाज़ भर होती नहीं
है दोस्तों
सैंकड़ों आँसू छुपे रहते हैं इक फरियाद में
सभ्यता के शीर्ष पर यों ही नहीं
बैठे हैं हम
उम्र खप जाती है छोटी-सी किसी ईजाद में!
१० अगस्त २००९ |