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हमारे ख्व़ाब की दुनिया
हमारे ख्व़ाब की दुनिया, हमारी आस की दुनिया
चुरा सकता नहीं हमसे कोई एहसास की दुनिया।
गम़ों पर मुस्कराती है, खुशी पर खुश नहीं होती
समझ में ही नहीं आती, हमारे पास की दुनिया।
बनाने में लगे बरसों, मिटाने में लगे पल भर
अजब ही शै हुआ करती ये विश्वास की दुनिया।
कई सच पूर्व जन्मों के, कई सच बाद के होंगे
हमारा सच मगर है यह हमारी श्वास की दुनिया।
न कम होती है पीने से, न प्यासा ही रहा जाए
जहाँ भी है, वहीं पर है मुसल्सल प्यार की दुनिया।
१ मई २००५
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