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मैं तुमसे ऊब न जाऊँ
मैं तुमसे ऊब न जाऊँ न बार बार मिलो
बनी रहेगी मुहब्बत, कभी कभार मिलो
महज़ हो साथ टहलना तो आर पार मिलो
अगर हो डूब के मिलना तो बीच धार मिलो
मुझे भी खुद सा ही तुम बेकरार पाओगे
कभी जो शर्म-ओ-हया कर के तार तार मिलो
प्रकाश, गंध, छुवन, स्वप्न, दर्द, इश्क़, मिलन
मुझे मिलो तो सनम यों क्रमानुसार मिलो
दिमाग, हुस्न कभी साथ रह नहीं सकते
इसी यकीन पे बन के कड़ा प्रहार मिलो
१ मई २०१६
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