अनुभूति में
धर्मेन्द्र कुमार सिंह 'सज्जन'
की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
कहे कौन उठ
जितना
ज्यादा हम लिखते हैं
दिल है तारा
बाँध
मौसम तो देखिये
क्षणिकाओं में-
बारह क्षणिकाएँ
अंजुमन में-
अच्छे बच्चे
काश यादों
को करीने से
गरीबों के लहू से
चंदा तारे बन रजनी में
चिड़िया की जाँ
छाँव से सटकर खड़ी है धूप
जो भी मिट गए तेरी आन पर
दे दी अपनी जान
निजी पाप की
मिल नगर से
छंदमुक्त में-
अम्ल, क्षार और गीत
दर्द क्या है
मेंढक
यादें
हम तुम |
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मौसम तो देखिये
सूरज हुआ है पस्त ये मौसम तो देखिये
बादल हुए हैं मस्त ये मौसम तो देखिये
कागज़ गया है फूल सियाही बिखर गई
निब की हुई शिकस्त ये मौसम तो देखिये
सूरज नहीं दिखा तो घने बादलों को सब
जोड़े हैं आज हस्त ये मौसम तो देखिये
गंगा की शुद्धता हो या मिट्टी का ठोसपन
सब हो गए हैं ध्वस्त ये मौसम तो देखिये
यूँ बादलों से हो गई जुगनू की साठ-गाँठ
तारे हुए हैं अस्त ये मौसम तो देखिये
१६ मार्च २०१५
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