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जो भी मिट गए
तेरी आन पर
जो-भी-मिट-गए-तेरी-आन-पर-वो-सदा-रहेंगे-यहीं-कहीं
तेरी-माटी-में-वो-ही-फूल-बन-के-खिला-करेंगे-यहीं-कहीं
ऐ-वतन-मेरे,-नहीं-कर
सके,-कभी-काल-भी,-ये-जुदा-हमें
मैं-मरा-तो-क्या-मैं-जला-तो-क्या-मेरे-अणु-मिलेंगे-यहीं-कहीं
तू-ही-घोसला-तू
ही है शजर-तू-चमन-मेरा-तू-ही-आसमाँ
तुझे छोड़ के, जो कभी उड़ा, मेरे पर गिरेंगे यहीं कहीं
कभी-धूप-ने-जो-उड़ा-दिया-मुझे-बादलों-सा-बना-के-तो
मेरे अंश लौट के आएँगें औ’ बरस पड़ेंगे यहीं कहीं
कोई दोजखों में जला करे कोई जन्नतों में घुटा करे
जो किसान हैं मेरे देश के वो सदा उगेंगे यहीं कहीं
२३ अप्रैल २०१२
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