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अनुभूति में अभिनव शुक्ला की रचनाएँ -
गीतों में-
अंतिम मधुशाला (हरिवंशराय बच्चन को श्रद्धांजलि)

अपने दिल के हर आँसू को
आवाज़ें

नहीं बयान कर सके
बांसुरी
वक्त तो उड़ गया
शान ए अवध
है बड़ी ऊँची इमारत

ज़िन्दगी है यही

हास्य-व्यंग्य में -
इंटरव्यू
काम कैसे आएगी
गांधी खो गया है
जेब में कुछ नहीं है
मुट्टम मंत्र
विडंबना

संकलन में
ज्योति पर्व -वो काम दिवाली कर जाए
                खुशियों से भरपूर दिवाली
गाँव में अलाव - कैसी सर्दी
प्रेमगीत - भावों के धागों को
गुच्छे भर अमलतास
नया साल-अभिनव नववर्ष हो
ममतामयी-मेरा आदर्श

 

वक्त तो उड़ गया

वक्त तो उड़ गया तितलियों की तरह
बाग से फूल खुशबू चुराते रहे
क्यारियों के किनारे बनी मेंड़ पर
चन्द भँवरे सदा गुनगुनाते रहे।

उस नदी के किनारे बने पेड़ से
गीत कोयल का मौसम पे छाता रहा
खेत की दोस्ती भी हवा से हुई
लहलहाता रहा मुस्कराता रहा।

शाम भी चाँद की डोर ले हाथ में
रात की ओर धीरे से जाती रही
जो कभी साथ अपने थी इस मोड़ पर
हमको वो ज़िन्दगी याद आती रही।

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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