|
|
|
वो काम दिवाली कर जाए
|
|
|
दीपों की माला से चमके
घर आँगन का हर इक दर्पण
इस बार सजावट हो ऐसी
जीवन खुशियों से भर जाए।
लक्ष्मी गणेश के पूजन से
महके जग का कोना-कोना
चमकीली आतिशबाजी हो
अँधियारा सहमे डर जाए।
जिस रावण के वध की खातिर
श्री राम धरा पर आए थे
आओ मिलकर सब दुआ करें
इस बार वो रावण मर जाए।
कलयुग के ताने बाने में
उलझी सतयुगी कहानी का
जो काम अधूरा है अब तक
वो काम दिवाली कर जाए।
- अभिनव शुक्ला
|
| |
|
दीपों का उजियार
रूपरंग को चूम रहा है
दीपों का उजियार,
खुशियों के घर-आँगन में
खुशबू की भरमार।
मावस पर पूनम की बस्ती
फूलों जैसी बाती हँसती,
मचल रही लौ को निहार कर
बजते दिल के तार।
हाथों में चमकी फुलझड़ियाँ
नई उमंगों की हैं लड़ियाँ,
झलकाता गागर में सागर
चाहत का संसार।
दीपक से दीपक हैं जलते
बंद सभी दरवाज़े खुलते,
देता है संकेत सुहाने
हँसता हुआ अनार।
- राजा चौरसिया
|