आवाज़ें
बिखरे पर्व सहमती रातें
तेज़ पटाखों की आवाज़ें।
धूल की आँधी बाढ़ का पानी
फूस का छप्पर सूखे का डर
मटमैले कपड़े ढलता बचपन
थोड़े रुपए गाय का गोबर
खामोश आँखें नींद अधूरी
ढोल तमाशों की आवाज़ें।
जाति धर्म ज्ञान साहूकारी
नक्सलवादी बड़े बिहारी
कर्ज़ ब्याज तन थोथी हलचल
उधड़े कपड़े फटते कम्बल
राजनीतियाँ घर घर में घर
फेरीवालों की आवाज़ें।
बहुत अमीरी बहुत गरीबी
काला सोना गड़ा खज़ाना
गंगा मइया पंच सीकरी
छोड़े दफ्तर रोज़ बहाना
बाँस की खटिया लटके सिर धड़
तीर गडासों की आवाज़ें।
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