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अनुभूति में अभिनव शुक्ला की रचनाएँ -
गीतों में-
अंतिम मधुशाला (हरिवंशराय बच्चन को श्रद्धांजलि)

अपने दिल के हर आँसू को
आवाज़ें

नहीं बयान कर सके
बांसुरी
वक्त तो उड़ गया
शान ए अवध
है बड़ी ऊँची इमारत

ज़िन्दगी है यही

हास्य-व्यंग्य में -
इंटरव्यू
काम कैसे आएगी
गांधी खो गया है
जेब में कुछ नहीं है
मुट्टम मंत्र
विडंबना

संकलन में
ज्योति पर्व -वो काम दिवाली कर जाए
                खुशियों से भरपूर दिवाली
गाँव में अलाव - कैसी सर्दी
प्रेमगीत - भावों के धागों को
गुच्छे भर अमलतास
नया साल-अभिनव नववर्ष हो
ममतामयी-मेरा आदर्श

 

काम कैसे आएगी

मुंबई की बाढ़ में,
जब एक हिंदू ने,
एक मुसलमान को,
डूबने से बचाया,
तो इलाके का लीडर,
अपने चमचों में भुनभुनाया,
'अगर ये पब्लिक,
एक दूसरे को,
ऐसे बचाएगी,
तो हमारे काम,
कैसे आएगी।

२४ अक्तूबर २००५

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