| जुगनुओं अब तुम 
                  सितारे हो गए इतना गहरा सन्नाटा बड़ा ही भीषण
 और डरावना
 कहाँ गए सब
 अब यहाँचिडियों का कलरव
 भी नही गूँज रहा
 आसमान भी इतना
 शांत क्यों है
 कहाँ गुम हो गईसूरज की तेज़ गर्मी
 और,
 बादलों की
 उमड़ घुमड़
 अब वे यहाँ क्यों नहीं आते
 क्या पथिक अपना
 रास्ता भूल गए
 या फिर,
 जुगनुओं!!! अब तुम सितारे हो गए
 ५ अक्तूबर २००९  |