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अनुभूति में राज जैन की रचनाएँ -

अंजुमन में-
आदमी
आ के मिलिये
एक लम्हा ज़िन्दगी़
कल शहर था
तुमसे मिल कर
पहली बार
मुस्कुराने की चाहत

यह ख़लिश

संकलन में-
वर्षा मंगल - बिरहा
ज्योति पर्व - दिये जला देना
गांव में अलाव-ठिठुर ठिठुर कर
शुभकामनाएँ -आज झिझको
प्रेमगीत- मीठी उलझन

हाइकू में
नयी कामना

काव्यचर्चा में
सच सादगी और सरलता

  तुम से मिलकर

तुम से मिलकर
जिंदगी को
मायना मिल गया है

खुद को देखा
पास से यों
आईना मिल गया है

खो गए थे
सुर हमारे
रंग फीके
हो गए थे

पंख जैसे
थक गए थे
ख्वाब सारे
सो गए थे

साँस में भी
कुछ कमी थी
आँख में भी
कुछ नमी थी

नर्म-सी एक
खुशबू-सी
कर गई है
जादू-सी

धूप बन कर
छा गई हो
पास ऐसे
आ गई हो

मंज़िलें हैं
दूर पर अब
रास्ता मिल गया है

तुम से मिलकर
जिंदगी को
मायना मिल गया है
 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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