एक लम्हा
ज़िन्दगी ज़िन्दगी
ऊँचाइयाँ है आस की और आसमाँ की
ज़िन्दगी अंगड़ाइयाँ है कशमकश के कारवाँ की
ज़िन्दगी कठिनाइयाँ है
प्यार की और परवतों की
ज़िन्दगी परछाइयाँ है मनसूबों की मौसमों की
ज़िन्दगी ख़ामोश-सा एक
खूबसूरत ख्वाब भी है
और कभी बेताब-सा एक सिरफिरा सैलाब भी है
एक लम्हा ज़िन्दगी है मीलों
फैली बदरिया-सी
एक तनहा ज़िन्दगी है सिमटी सिकुड़ी गगरिया-सी
एक दिन बनकर हवा यह भागती
है पागलों-सी
और कभी उलझी खुद ही से जूझती है जंगलों-सी
एक सुबहा ज़िन्दगी है
इन्द्रधनुषी सपन जैसी
एक बिरहा रात भर सुलगे जुदाई की अगन-सी
ज़िन्दगी झरने का पानी
ज़िन्दगी ही प्यास भी है
ज़िन्दगी रब की इनायत ज़िन्दगी अरदास भी है
ज़िन्दगी भर ढूँढती है
ज़िन्दगी क्यों ज़िन्दगी को
पास आओ हाथ थामो तुम ही मेरी ज़िन्दगी हो |