अनुभूति में
राज जैन की रचनाएँ -
अंजुमन में-
आदमी
आ के मिलिये
एक लम्हा ज़िन्दगी़
कल शहर था
तुमसे मिल कर
पहली बार
मुस्कुराने की चाहत
यह ख़लिश
संकलन में-
वर्षा मंगल -
बिरहा
ज्योति पर्व -
दिये जला देना
गांव में अलाव-ठिठुर
ठिठुर कर
शुभकामनाएँ -आज
झिझको
प्रेमगीत-
मीठी उलझन
हाइकू में
नयी कामना
काव्यचर्चा में
सच
सादगी और सरलता |
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आ के मिलिए
कभी मुस्कुराके क़रीब आके
मिलिए
बदल देंगे सारे नसीब आके मिलिए
खतायें हमारी अदायें
तुम्हारी
बढे जा रही है नज़र में खुमारी
अजी हैं तुम्हारे हबीब आके मिलिए
कभी मुस्कुराके क़रीब आके मिलिए
यों डर के ना झिझको न
नज़रें चुराओ
शब ए वस्ल में तुम न यों दूर जाओ
कि चढ़ जाएँगे हम सलीब आके मिलिए
कभी मुस्कुराके क़रीब आके मिलिए
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