अनुभूति में
परमजीत कौर रीत की रचनाएँ
नयी रचनाओं में-
अँधेरों की फ़ितरत
एक अकेले पर
कहाँ कोई किसी से
दिल से मिलिए
साथ चलना है
क्षणिकाओं में-
रिक्त स्थान- चार क्षणिकाएँ
माहिया में-
खुश्बू का हरकारा
अंजुमन में-
कहीं आँखों का सागर
कहीं मुश्किल
कोई दावे की खातिर
रोटी या फूलों के सपने
हिज्र में भी गुलाब
माहियों में-
माहिये
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कहाँ कोई किसी से
कहाँ कोई किसी से कम यहाँ था
गर इक तालाब तो दूजा कुआँ था
गिरा पत्ता, तो हावी हैं हवाएँ
शजर के साथ कब वह नातवाँ था
उन्हीं रिश्तों को परखा दूरियों ने
वो जिनका नाम ही नज़दीकियाँ था
मुझे थी कामयाबी की हिदायत
उन्हें हर बार लेना इम्तिहां था
न था तर्क-ए-त'अल्लुक़ सच है ये, पर
पलटकर 'रीत' देखा भी कहाँ था
१ अक्टूबर २०२३
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