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अनुभूति में परमजीत कौर रीत की रचनाएँ

नये माहिया में-
खुश्बू का हरकारा

अंजुमन में-
कहीं आँखों का सागर
कहीं मुश्किल
कोई दावे की खातिर
रोटी या फूलों के सपने
हिज्र में भी गुलाब

माहियों में-
माहिये

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  खुश्बू का हरकारा

खुश्बू का हरकारा
बोले बगिया में
फिर आना दोबारा

वह रहें दुआओं में
जो खुश्बू बनकर
घुल गये हवाओं में

सागर! तुझको मौका
ले, अब लहरों पे
रख दी जीवन नौका

गाता वह बनजारा
बजता है रहता
दुख-सुख का इकतारा

यादें ममता सारी
माँ ! तेरा जाना
सब बातों पर भारी

बादल इक था रोया
लोग यही समझे
बारिश ने है धोया

ये हाल सुराही का
गहरी आँखों पे
घेरा है स्याही का

१ नवंबर २०२२

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