अनुभूति में
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वायदों की छुरी
संयुक्त परिवार
संसद
साइज़
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वायदों की छुरी
राजनीति की गलियाँ
संकरी हो गई हैं,
आम जनता
खूँटे से बँधी
बकरी हो गई है,
चुनाव के त्यौहार तक
मतदान के वार तक,
खिला-पिलाकर
लाल करते हैं,
वायदों की छुरी से
हलाल करते हैं। |