नई रचनाएँ- चार व्यंग्य रचनाएँ
हास्य व्यंग्य में- औरतें औरतें कुछ परिभाषाएँ कारनामे चार फुलझड़ियाँ चिकने घड़े तीन हंसिकाएँ प्रश्नवाचक चिह्व प्रवृत्ति प्रेम व्यथा फ्रंट पेज पर बस चल रही है बीमारी महान भारत राजनीति रावण के राज में वायदों की छुरी संयुक्त परिवार संसद साइज़
हीरोइन का पारा चढ़ा, जूतेवाला घबराकर कोने में खड़ा, मॅडम को जूता चाहिए था, बाहर से छोटा अन्दर से बड़ा।
औरतें
खुद शराब हैं मगर पीने से डरती है मुहब्बत में मर जायें सौ-सौ बार मगर बुड्ढी होकर जीने से डरती है।
इस रचना पर अपने विचार लिखें दूसरों के विचार पढ़ें
अंजुमन। उपहार। काव्य चर्चा। काव्य संगम। किशोर कोना। गौरव ग्राम। गौरवग्रंथ। दोहे। रचनाएँ भेजें नई हवा। पाठकनामा। पुराने अंक। संकलन। हाइकु। हास्य व्यंग्य। क्षणिकाएँ। दिशांतर। समस्यापूर्ति
© सर्वाधिकार सुरक्षित अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है