अनुभूति में
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संसद
साइज़
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प्रेम-व्यथा
रंगीन मुलाकातें
रोज़ होती थी,
पच्चीस बरस तक
हम दोनों
पति-पत्नी की
बड़ी मौज होती थी,
फिर खुशियाँ
ऐसी रूठी
कि आधी हो गई,
क्या बताए
२६ वें बरस
हमारी शादी हो गई।
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