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अनुभूति में रमेशचंद्र शर्मा 'आरसी' की रचनाएँ -

नए गीतों में-
आँख के काजल
उगते सूरज को
यों न ठुकरा
शब्द की इक नदी

गीतों में-
खुद्दारी
चूड़ियाँ
ज़िन्दगी
बसंत गीत

मेरे गीत क्या है
सूर्य की पहली किरण हो

अंजुमन में-
काली कजरारी रातों में
मेरे गीतों को


संकलन में-
ममतामयी- माँ कुछ दिन
दिये जलाओ- दिवाली के दोहे

   ज़िन्दगी

ज़िन्दगी गीत है, एक संगीत है,
सुर कोई सा लगे इसको गा लीजिए।
न कोई प्रश्न है, ज़िन्दगी जश्न है,
जब भी मौका मिले तो मना लीजिए।

प्यार औरों को दें, प्यार औरों से लें,
सौदा सस्ता खरा है पटा लीजिए।
ज़िन्दगी जब वतन तुमसे माँगे अगर
कुछ न सोचो न समझो लुटा दीजिए।

ज़िन्दगी चंद साँसों की माला भी है,
ज़िन्दगी मौत का इक निवाला भी है,
आस है ज़िन्दगी, प्यास है ज़िन्दगी,
जितनी बढ़ती है इसको बढ़ा लीजिए।

ज़िन्दगी को किसी ने गुरु कह दिया
ज़िन्दगी तो स्वयं पाठशाला भी है।
तन से है ज़िन्दगी, मन से है ज़िन्दगी,
ज़िन्दगी एक धन है बचा लीजिए।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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