नाम तुम्हारा
मेरे नवगीतों में नाम
तुम्हारा ऐसे सजता है -
जैसे रातों की रानी
पूनम में इंदु विहँसता है!
इंदु-प्रभा की किरण-किरण में
सजे तुम्हारे नेह-सुमन!
इन सुमनों की मुस्कानों से
सुख पाती मेरी धड़कन!
मेरे नवगीतों में नाम
तुम्हारा ऐसे सजता है -
जैसे मेरी हर धड़कन में
रूप तुम्हारा बसता है!
मेरा हृदय-निलय अनुगुंजित
रहे तुम्हारी बातों से!
ऐसी प्रीति करो अनुबंधित
अमिट-अभंजित नातों से!
मेरे नवगीतों में नाम
तुम्हारा ऐसे सजता है -
जैसे संबंधों का यौवन
संघर्षों से तपता है!
१२ अप्रैल २०१०