बढ़िया बहुत पसीना
गरमी के मौसम में लगता,
बढ़िया बहुत पसीना
जब शरीर का ताप बढ़े यह,
निकल-निकलकर आए
धीरे-धीरे भाप बने, फिर
शीतलता पहुँचाए
यह ना आए, तो हो जाए
मुश्किल सबका जीना
रोमछिद्र में भरी गंदगी,
यह बाहर ले आए
सदा त्वचा की रक्षा करता,
त्वचा न फटने पाए
इसको छूकर गरम हवा भी,
ठंडी हो जाए ना
अगर पसीना ना आए तो,
त्वचा सूख जाती है
चढ़ती है दिमाग पर गरमी,
रह-रह तड़पाती है
इसे बुलाने की ख़ातिर तुम,
गट-गट पानी पीना
७ जून २०१०