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अनुभूति में रावेंद्रकुमार रवि की रचनाएँ— 

बालगीतों में-
अपनी माँ का मुखड़ा

बढ़िया बहुत पसीना
मेरी शोभा प्यारी है
हम भी उड़ते

गीतों में-
ओ मेरे मनमीत
धूप की परछाइयाँ
नाम तुम्हारा
मेरा हृदय अलंकृत
मेरे मन महेश

कार्यशाला में-
कोहरे में भोर हुई

संकलन में-
फागुन- आए कैसे बसंत
होली है- होली आई रे

 

बढ़िया बहुत पसीना

गरमी के मौसम में लगता,
बढ़िया बहुत पसीना

जब शरीर का ताप बढ़े यह,
निकल-निकलकर आए
धीरे-धीरे भाप बने, फिर
शीतलता पहुँचाए
यह ना आए, तो हो जाए
मुश्किल सबका जीना

रोमछिद्र में भरी गंदगी,
यह बाहर ले आए
सदा त्वचा की रक्षा करता,
त्वचा न फटने पाए
इसको छूकर गरम हवा भी,
ठंडी हो जाए ना

अगर पसीना ना आए तो,
त्वचा सूख जाती है
चढ़ती है दिमाग पर गरमी,
रह-रह तड़पाती है
इसे बुलाने की ख़ातिर तुम,
गट-गट पानी पीना

७ जून २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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