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अनुभूति में रावेंद्रकुमार रवि की रचनाएँ— 

बालगीतों में-
अपनी माँ का मुखड़ा

बढ़िया बहुत पसीना
मेरी शोभा प्यारी है
हम भी उड़ते

गीतों में-
ओ मेरे मनमीत
धूप की परछाइयाँ
नाम तुम्हारा
मेरा हृदय अलंकृत
मेरे मन महेश

कार्यशाला में-
कोहरे में भोर हुई

संकलन में-
फागुन- आए कैसे बसंत
होली है- होली आई रे

 

मेरी शोभा प्यारी है

मैं गुलाब का फूल अनोखा,
मेरी शोभा प्यारी है

मेरे आगे फीकी सारे,
रंगों की पिचकारी है
मुझको पाकर सरसा करती,
बगिया की हर क्यारी है

मेरे अंदर ख़ुशबू बढ़िया,
सुंदरता भी सारी है
जो बन पाता मेरे-जैसा,
उसकी महिमा न्यारी है

मैं जब खिलता हूँ मुस्काकर,
सज जाती फुलवारी है
मेरे-जैसी बस दुनिया में,
बच्चों की किलकारी है

७ जून २०१०

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