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अंग-अंग से
धार रंग की,
करे ख़ूब परिहास!
बरज़ोरी
कर-करके छेड़े,
आँचल को वातास!
होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
लेकर चुंबन
मधुर गाल का,
करती अलक विलास!
काट चिकोटी
कसी कमर में
करे करधनी हास!
होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
मधुर सुगंधित
छोड़ रही हैं,
साँसें प्रीत-सुवास!
अधर-अधर से
सरस कर रहे,
मधुमय मधु-सहवास!
होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
मिलने का
मौसम आया है,
मुख पर सजी उजास!
मधु-संकेत
करे साजन को
प्रिया बुलाए पास!
होली आई रे! ख़ुशियाँ लाई रे!
रावेंद्रकुमार रवि
१ मार्च २०१० |