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अनुभूति में मालिनी गौतम की रचनाएँ-

गीतों में-
अँधेरा घना है
अपना मन झकझोर
बदली बदली सी है सूरत
मेरा मन
मौसम बदल गया
रूप अनोखे

अंजुमन में-
कभी आँखे दिखाते हो
ख्वाब आँखों में
चाय की कुछ चुस्कियों में
दफ्न कर अपनी तमन्ना
भूख गरीबी लाचारी है

 

भूख गरीबी लाचारी है

भूख गरीबी लाचारी है
रोज़ नई मारा-मारी है

रिश्वत लेने औ’देने की
हमको जैसे बीमारी है

रूपयों के दम पर ही चलती
फाइल आखिर सरकारी है

बिन पंखों के वो उड़ लेते
खूब फ़लक से की यारी है

दर्द छुपाना औ’हँसना भी
खेल नहीं है फ़नकारी है

अपने मक़सद को पाने की
आज हमारी तैयारी है

महल बचे, झोंपड़ियाँ टूटीं
इस मौसम की बलिहारी है

१३ अप्रैल २०१५

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