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अनुभूति में मालिनी गौतम की रचनाएँ-

गीतों में-
अँधेरा घना है
अपना मन झकझोर
बदली बदली सी है सूरत
मेरा मन
मौसम बदल गया
रूप अनोखे

अंजुमन में-
कभी आँखे दिखाते हो
ख्वाब आँखों में
चाय की कुछ चुस्कियों में
दफ्न कर अपनी तमन्ना
भूख गरीबी लाचारी है

 

अपना मन झकझोर

ज़रा कवि,
अपना मन झकझोर!

प्रबल अँधेरा, दूर सबेरा
रजनी ने अग-जग को घेरा
कालकूट का ज़ोर!

रक्त-विरंजित दसों दिशाएँ
कैसे अपनी राह बनाएँ
बर्बरता चहुँ ओर!

राज़ घनेरे तेरे मेरे
पग-पग गुप्तचरों के फेरे
उलझ गई है डोर!

राज-पाट के मूक इशारे
आँखों-आँखों वारे-न्यारे
है सत्ता का शोर!

लाक्षागृह-सी क्रूर बिसातें
क़दम-क़दम होतीं शह-मातें
कलुषित है हर भोर!

काल-धनुष पर चढ़ी प्रत्यंचा
कहीं धमाका, कहीं तमंचा
सिहर उठा हर पोर!

२० जुलाई २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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