संबंधों की बही
संबंधों की
बही मिली है कहाँ सही
उल्टी जिल्द आँकड़े झूठे
कोरे कागज स्याह अँगूठे
अंकों में है दर्ज दिलों की रही सही
संबंधों की
बही मिली है कहाँ सही
मौन दीये वाचाल शिखाएँ
शुष्क तरू पर सब्ज लताएँ
व्यथा ओस की कही धूप ने खूब कही
संबंधों की
बही मिली है कहाँ सही
२८ मार्च २०११ |