चलो उजाला
ढूँढें
चलो उजाला ढूँढें
काली रातों में
सागर हो या
तपता मरुथल प्यास बुझाए पानी
मन का दर्द दबाए मन में है
जीवन सैलानी
नहीं सांत्वना मिलती
इन हालातों में
चलो उजाला ढूँढें
काली रातों में
अपने इस अंधेर
नगर का शासक चौपट राजा
टके सेर की भाजी बिकती
टके सेर का खाजा
न्यायालय अन्याय
दिखाते खातों में
चलो उजाला ढूँढें
काली रातों में
२८ मार्च २०११ |