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अनुभूति में माधव कौशिक की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आने वाले वक्त का
घर का शोर-शराबा
समझ से बाहर है
हँसने का, हँसाने का हुनर

गीतों में-
चलो उजाला ढूँढें
टूटता संवाद देखा
पसरा हुआ विराम
संबंधों की बही
सागर रेत हुए
सूरज के सब घोड़े
क्षितिज की ओर

 

पसरा हुआ विराम

तेज़ धार के बीच
समय का पसरा हुआ विराम

आँखों ने अंधड़
पाँवों ने
पहन लिए अंगार
और अधिक अस्पष्ट
हो गए
सब धुँधले आकार
चौराहे पर ठिठक गया मन
जैसे ट्रैफ़िक जाम

बंद गली के
बंद मकाँ का
खुला हुआ दरवाज़ा
टके सेर की
बिकती भाजी
टके सेर का खाजा
अफ़रा तफ़री में सब भूले
अपने असली नाम

९ जुलाई २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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