अनुभूति में
कृष्ण नंदन मौर्य की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
अंधे न्यायालय को
कटा कटा गाँव
कस्तूरी की गंध
जादू वाली छड़ी
जिस आखर से खुले
गीतों में-
अब मशीने बोलती हैं
क्या उड़ने की आशा
नदिया के उस पार
मन को भाता है
रहे सफर में
संकलन में-
विजय पर्व-
राम को तो आज भी वनवास है
नया साल-
नये वरस जी
शुभ दीपावली-
उजियारे की बात
जग का मेला-
तितली
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कस्तूरी की गंध
कस्तूरी की गंध
सरीखे
कुछ अरमानों ने
बाँटा दुख ही जीवन को
सुख के सामानों ने
लुटी–पिटी सी साँझ
थकन तारी भिनसारों में
फिरा खुशी के दाम लगाता
दिन बाजारों में
ठगा रात की आँखों को
कुछ ख्वाब –सुहानों ने
बाँटा दुख ही जीवन को
सुख के सामानों ने
शून्य सिरजते रहे
परों में बाँध उड़ाने हम
भली सोंच का गला घोंट
हो गये सयाने हम
लूटा तप का मंदिर
सुविधा के सुल्तानों ने
बाँटा दुख ही जीवन को
सुख के सामानों ने
नपी–तुली मुस्कान लिये
घूमें व्यापारी मन
बाहर–बाहर मिलें गले
पर अन्दर रखें जलन
हिये हिंस्र पशु नख–दंती
सिरजे इंसानों ने
बाँटा दुख ही जीवन को
सुख के सामानों ने
३१ मार्च २०१४
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