अनुभूति में
कृष्ण नंदन मौर्य की रचनाएँ-
गीतों में-
अब मशीने बोलती हैं
क्या उड़ने की आशा
नदिया के उस पार
मन को भाता है
रहे सफर में
संकलन में-
विजय पर्व-
राम को तो आज भी वनवास है
नया साल-
नये वरस जी
शुभ दीपावली-
उजियारे की बात
जग का मेला-
तितली
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जादू वाली छड़ी
जादू वाली छड़ी
सुनहली
परियाँ, राजा–रानी
ख़त्म हो गये साथ तुम्हारे
कितने किस्से, नानी
ब्रह्म–महूरत में उठ
सेवा–स्तुति ठाकुर की
सुबह सूर्य को अर्घ्य
शाम सँझबाती पीपर की
पोरों–पोरों गिन देती थीं
व्रत– त्यौहार जुबानी
ख़त्म हो गये साथ तुम्हारे
कितने किस्से, नानी
कर्मठता से कर लेती थीं
विपदा कठिन, सरल
अपनी अंटी में रखती थीं
हर मुश्किल का हल
रही स्वयं हैरान
तुम्हारे सर आकर, हैरानी
ख़त्म हो गये साथ तुम्हारे
कितने किस्से, नानी
देहरी पाकीज़ा थी तुमसे
देवालय था घर
महामंत्र से बजते रहते थे
अशीसते स्वर
अन्नपूर्णा माई थीं
तुम थीं दुर्गा कल्यानी
ख़त्म हो गये साथ तुम्हारे
कितने किस्से, नानी
३१ मार्च २०१४
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