अनुभूति में
कृष्ण नंदन
मौर्य की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
अंधे न्यायालय को
कटा कटा गाँव
कस्तूरी की गंध
जादू वाली छड़ी
जिस आखर से खुले
गीतों में-
अब मशीनें बोलती हैं
क्या उड़ने की आशा
नदिया के उस पार
मन को भाता है
रहे सफर में
संकलन में-
विजय पर्व-
राम को तो आज भी वनवास है
नया साल-
नये
वरस जी
शुभ दीपावली-
उजियारे की बात
जग का मेला-
तितली
|
|
अब मशीनें
बोलती हैं
अब मशीनें बोलती
हैं
चुप खड़े फरुहा, कुदाली
मोटरों के शोर से सहमे गड़ासे
उम्र बूढ़ी हो गये लग्गे, कटासे
थ्रेशरों ने पाँव थामे दवँरियों के
क्रेशरों की डाँट से
गैंते रुआसे
मुँह भरे जेसीबियों के
पलड़ियों के पेट खाली
मंदिरों में कैसेटें हैं भजन गातीं
डी.जे. की धुन धौंस कीर्तन पर जमाती
किसी कोने छिप गये ढोलक, मजीरे
पैड ड्रम की ताल तबले
को चिढ़ाती
गाल फूले सीटियों के
पड़ गई कमजोर ताली
छेनियों के कौर खातीं ड्रिल मशीनें
चिठ्ठियों की टाँग तोड़ी एस-एम-यस ने
म्यूजियम का धन बने बापू के चरखे
लुट चुकी मिल्कियत
हुये हाथ–करघे
हाथ गिरवी किसानी के
सेठियों की है जुगाली
२९ अप्रैल २०१३
|