अनुभूति में
कृष्ण नंदन मौर्य की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
अंधे न्यायालय को
कटा कटा गाँव
कस्तूरी की गंध
जादू वाली छड़ी
जिस आखर से खुले
गीतों में-
अब मशीने बोलती हैं
क्या उड़ने की आशा
नदिया के उस पार
मन को भाता है
रहे सफर में
संकलन में-
विजय पर्व-
राम को तो आज भी वनवास है
नया साल-
नये वरस जी
शुभ दीपावली-
उजियारे की बात
जग का मेला-
तितली
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अंधे
न्यायालय को
अंधे न्यायालय को
सच का पाँच गाँव भी नहीं गवारा
अपने–अपने स्वार्थ–सगे सब
बात न्याय की कौन कहे अब
जिसका हित गँठ गया जिधर भी
गरिमायें बह चलीं उसी ढब
बिछी जिरह में छल की चौसर
कटघर में विश्वास बिचारा
जबरों के चेहरे बासन्ती
सबरों के मुँह हैं मुरझाये
बीच सड़क पर उत्छृंखलता
मर्यादा को आँख दिखाये
भला कपट–दुर्योधन सबको
नीति–विदुर से किया किनारा
बौना हुआ साँच का पर्वत
असुरों के हिस्से अमृत–घट
बढ़े दुशासन के दुस्साहस
पांचालियाँ लुटतीं बेवश
श्रम को सूखी रोटी मुश्किल
गिरहकटों को दूध–छुहारा
३१ मार्च २०१४
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