तितली
कलियों के ऊपर मंडराती
फूलों का रस ले उड़ जाती
हम बच्चों का मन ललचाती
हाथ किसी के कभी न आती
-कृष्ण नंदन मौर्य
तितली
फूल फूल पर जाती तितली
चंचल पंख हिलाती तितली
परी लोक से आती तितली
बच्चों के मन भाती तितली
-- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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तितली
फूल फूल पर
जाती है
तितली बड़ी सुहाती है
इसके पंख रंगीले हैं
फूलों से चमकीले हैं
ओहो उस पत्ती के नीचे
छुपी हुई है आँखें मीचे
उसे उड़ाना मत भाई
थकी दूर से है आई
—शंभु दयाल सक्सेना
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तितली रानी
आई पहनकर तितली रानी
रंग रंगीले कपड़े
उड जाती है फुर्र से जब भी
कोई उसको पकड़े
खोल पिटारा रंगों का
है बच्चों को दिखलाती
नचा नचाकर पंखों को
फिर उनका मन हर्षाती
— भावना कुंअर
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तितली झूमे
तितली झूमे फूलों की पाँखों पर,
पंछी चहकें पेड़ों की शाखों पर,
बचपन झूले ममता की काँखों पर,
सपन-सलोना माँ की आँखों पर
-शोभा रतूड़ी |