देवेन्द्र शर्मा
इंद्र
जन्मः
१
अप्रैल १९३४ को नगला अकबरा, आगरा जनपद, उत्तर प्रदेश, भारत में।
प्रकाशित कृतियाँ-
इंद्र जी की विपुल साहित्य-राशि लगभग ६० पांडुलिपियों में
सुरक्षित है जिसमें इनके १७ हज़ार दोहे, लगभग ८०० ग़ज़लें एवं एक
महाकाव्य उल्लेखनीय हैं।
नवगीत संग्रह- पथरीले शोर में, पंखकटी महराबें,
कुहरे की प्रत्यंचा, चुप्पियों की पैंजनी, दिन पाटलिपुत्र
हुए, ऑंखों में रेत-प्यास, पहनी हैं चूडियॉं नदी ने, अनन्तिमा,
घाटी में उतरेगा कौन, हम शहर में लापता हैं, गन्धमादन के अहेरी
तथा एक दीपक देहरी पर।
खण्ड काव्य- कालजयी।
दोहा संग्रह- ऑंखों खिले पलाश, सेंदुर-सा दिन घुल उठा, तन्हा
खड़ा बबूल।
संपादित संग्रह- ताज की छाया
में (कविता संग्रह), यात्रा में साथ-साथ (नवगीत संग्रह), सप्तपदी (दोहा
संग्रह) सात खंडों में शृंखलाबद्ध)।
पुरस्कार व सम्मान- अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा
- ब्रजवैभव, ग़ाजि़याबाद की साहित्य संस्था द्वारा- काव्य-पुरूष,
दिल्लीं के एक शोध संस्थान द्वारा- दोहा-द्रोणाचार्य, उत्तर
प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ द्वारा- साहित्य-भूषण तथा अन्य अनेक
साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित एवं मानद उपाधियों से
अलंकृत।
संप्रतिः सेवा
निवृत्ति के पश्चात पूर्णकालिक साहित्य साधना। |
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अनुभूति में
देवेन्द्र शर्मा
इंद्र की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
एक थे सैकड़ों हो गए
जो भी सफ़र में
तीरगी में
हिलाल
प्यार की दौलत
अंजुमन में-
फूल शाखों से
यूँ देर से
हर इक रिश्ते
हर शाम चिरागों सा
गीतों में-
अब भी जीवित मुझमें
उस शहर से
एक गाथा का समापन
जब जब भी झंझा
मैं तुम्हारी लेखनी हूँ
मैं
नवांतर
मैं शिखर पर हूँ
लौटकर घर
चलो खुसरो
साँझ के
कंधे पर
हम जीवन के
महाकाव्य
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