अनुभूति में
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की रचनाएँ-
कविताओं में-
अंधेरे का मुसाफ़िर
एक सूनी नाव
तुम्हारे लिए
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
रात में वर्षा
व्यंग्य मत बोलो
विवशता
शुभकामनाएँ
सब कुछ कह लेने के बाद
सुरों के सहारे
संकलन में-
वसंती हवा- आए महंत वसंत
गाँव में अलाव -
जाड़े की धूप
पिता की तस्वीर- दिवंगत पिता के
प्रति
नया साल- शुभकामनाएँ
क्षणिकाओं में
वसंत समर्पण आश्रय
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तुम्हारे लिए
काँच की बन्द खिड़कियों के पीछे
तुम बैठी हो घुटनों में मुँह छिपाए।
क्या हुआ यदि हमारे-तुम्हारे बीच
एक भी शब्द नहीं।
मुझे जो कहना है कह जाऊँगा
यहाँ इसी तरह अदेखा खड़ा हुआ,
मेरा होना मात्र एक गन्ध की तरह
तुम्हारे भीतर-बाहर भर जाएगा।
क्योंकि तुम जब घुटनों से सिर
उठाओगी
तब बाहर मेरी आकृति नहीं
यह धुंधलाती शाम
और आँच पर जगी एक हल्की-सी भाप
देख सकोगी
जिसे इस अंधेरे में
तुम्हारे लिए पिघलकर
मैं छोड़ गया होऊँगा।
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